Parshuram: भगवान परशुराम, भगवान विष्णु का छठा अवतार और योद्धा रूप है. पौराणिक कथाओं के अनुसार उन्हें अमर माना जाता है. ऋषि जमदग्नि और रेणुका के पुत्र, परशुराम, बुराई को दूर करने के लिए पृथ्वी पर अवतरित हुए थे. भगवान विष्णु का यह अवतार आक्रामक और युद्धकला में माहिर माना जाता है. परशुराम भगवान शिव के भक्त थे और उन्हें वरदान के रूप में भगवान शिव से एक परशु या कुल्हाड़ी जैसा हथियार मिला था. पौराणिक कथाओं के अनुसार भगवान शिव ने ही परशुराम को युद्धकला की शिक्षा भी दी थी.
पूजा का विभिन्न उद्देश्य और तरीका देता है अलग-अलग फल
वहीं हिंदू धर्म में प्रत्येक देवी-देवताओं की पूजा अलग-अलग उद्देश्य और तरीके से होती है. वहीं उससे मिलने वाला प्रतिफल भी अलग-अलग होता है. विभिन्न रूपों में प्रत्येक देवता की अलग-अलग तरीकों से पूजा करने पर अलग-अलग फल देते हैं. जैसे गणपति को लक्ष्मी गणपति, नाट्य गणपति, महा गणपति, अर्क गणपति के रूप में पूजा जाता है… हालांकि गलत तरीके से की गई पूजा किसी भी देवी-देवता के गलत परिणाम दे सकती है.
आखिर क्यों नहीं होती भगवान परशुराम की पूजा
मगर क्या आपके मन में ये ख्याल आया कि, राम और कृष्ण जैसे विष्णु अवतारों की पूजा भारत के सभी प्रमुख क्षेत्रों में की जाती है, लेकिन परशुराम की इतनी पूजा क्यों नहीं होती? क्या इसका कोई कारण है? माना जाता है कि वह नश्वर संसार में रह रहे हैं और कल्कि अवतार को प्रशिक्षित करेंगे, तो फिर आखिर उनकी इतनी पूजा क्यों नहीं होती?
ये है मूल वजह…
दरअसल हिंदू धर्मग्रंथों के अनुसार भगवान परशुराम अन्य देवताओं से भिन्न आज भी पृथ्वी पर रहते हैं. इसलिए शिव, राम, कृष्ण और अन्य देवताओं की तरह परशुराम की पूजा नहीं की जाती है.भगवान परशुराम ने जरूरत पड़ने पर दुष्टों को दंडित करने के लिए पृथ्वी पर उतरने का वादा किया, माना जाता है कि, इसके लिए वह स्वयं एक रूप धारण कर आ सकते हैं.
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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं। इसका कोई भी वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है। न्यूज धर्मा एक भी बात की सत्यता का प्रमाण नहीं देता है।)
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