Prasad Niyam: सनातन धर्म में पूजा-पाठ से जुड़े विशेष नियमों का उल्लेख है. जिनका पालन करना धार्मिक रूप से बेहद शुभ माना जाता है. इसी तरह पौराणिक काल से भोग चढ़ाने की परंपरा चली आ रही है, जिसका आध्यात्मिक तौर पर काफी महत्व है.
क्या भोग है एक जरिया?
हिंदू धर्म के जानकार बताते हैं कि, दरअसल पूजा के पश्चात भोग एक जरिया है प्रभु के प्रति अपने आपार प्रेम और आस्ता को दर्शाने का, मगर अक्सर कई भक्तजन भगवान के समक्ष लगाए भोग को लेकर उलझन में रहते हैं, उनके मन में कई तरह के सवाल होते हैं, जैसे- भोग लगाने का सही तरीका क्या है, भोग लगाने के बाद उसका क्या करें, क्या भोग का सेवन किया जा सकता है, भोग का सेवन कितने समय बाद किया जा सकता है? तो चलिए इस आर्टिकल में आपके इन साले सवालों के जवाब जानें…
क्या करें भगवान को चढ़ाए भोग का?
भोग दरअसल प्रभु के प्रति आपकी आस्था प्रकट करने का जरिया है. मान्यता है कि, भक्तों द्वारा चढ़ाए गए भोग का सेवन प्रभु अवश्य करते हैं. ऐसे में मंदिर में भोग चढ़ाने के पश्चात कुछ समय के लिए भोग को प्रभु के समक्ष छोड़ देना उचित माना जाता है. इसके कुछ समय बाद मंदिर से भोग उठा लें और अन्य भक्त जनों को इसे सेवन के लिए दें या फिर प्रसाद के तौर पर बांट दें. ये न सिर्फ बांटने वालों के लिए, बल्कि सेवन करने वालों के लिए भी अत्यंत शुभ माना जाता है.
कब खाना चाहिए भगवान को लगाया भोग?
माना जाता है कि, प्रभु को भोग चढ़ाने के बाद तकरीबन 2 से 4 मिनट इसे मंदिर में ही रहने दें, मगर ध्यान रखना है कि भोग जमीन पर नहीं, बल्कि किसी बर्तन में कपड़े से ढक कर रखें. साथ ही इसके साथ मंत्रों का उच्चारण करते हुए पानी भी साथ रखें, इस पूर्ण व्यवस्था के 2-4 मिनट के बाद ही भोग को मंदिर से बाहर निकालें और भक्तों में बांट दें. प्रभु आपकी इस सच्ची श्रद्धा से अत्यंत प्रसन्न होंगे.
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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं। इसका कोई भी वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है। न्यूज धर्मा एक भी बात की सत्यता का प्रमाण नहीं देता है।)
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