Rudraksha Niyam: हमारे देश में कई चीजों को देवी-देवताओं से जोड़ा जाता है। ऐसी ही एक मान्यता है कि रुद्राक्ष के विभिन्न दानों का संबंध भी अलग-अलग देवी-देवताओं और मनोकामनाओं से है। रुद्राक्ष एक मुखी से लेकर चौदह मुखी तक होते हैं। कहा जाता है कि प्रत्येक रुद्राक्ष को धारण करने की अपनी-अपनी अलग मान्यता होती है।
कैसे हुई है उत्पत्ति
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार रुद्राक्ष की उत्पत्ति भगवान शिव के अश्रुओं से मानी गई है। ऐसा कहा जाता है कि जो लोग रुद्राक्ष धारण करते हैं उनके ऊपर भगवान शिव कि कृपा बरसती है। साथ ही रुद्राक्ष करने के कई फायदे होते हैं। लेकिन इसके लिए हमें कई बातों का ध्यान रखना पड़ता है।
नियमों का जानना बेहद जरूरी
अगर आप भी हमेशा रुद्राक्ष धारण करते हैं तो इससे जुड़े नियमों को जानना बहुत जरूरी होता है। अगर हम नियम के अनुसार रुद्राक्ष धारण नहीं करेंगे तो हमारे जीवन पर इसका नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। यहां जानिए रूद्राक्ष धारण करते समय हमें किन बातों को ध्यान में रखना चाहिए।
इन बातों का रखें विशेष रूप से ध्यान
- रुद्राक्ष धारण करने से पहले यह जरूरी है कि उसे हम गंगाजल से धो लें। इसके बाद रुद्राक्ष को लाल रंग या पीले रंग के धागे में पिरोकर 108 या 1008 बार ऊँ नमः शिवाय मंत्र का जाप करें, इसके बाद रुद्राक्ष का धारण करें।
- रुद्राक्ष धारण करने के बाद हमें यह ध्यान देना जरूरी है कि हम उसे कभी भी गंदे हाथों से न छुएं। क्योंकि रुद्राक्ष पूजनीय और पवित्र चीज है।
- हमें कभी भी रुद्राक्ष को एक-दूसरे से बदलकर नहीं पहनना चाहिए। ऐसा करने से भगवान शिव नाराज हो जाते हैं।
- इसको धारण करने से पहले यह हमेशा ध्यान रखना चाहिए कि रुद्राक्ष की संख्या विषम हों।
- शास्त्रों में ऐसा बताया गया है कि रुद्राक्ष को भगवान शिव का तीसरा नेत्र माना जाता है। इसलिए हमें इसका ध्यान रखना चाहिए।
- रुद्राक्ष धारण करने से पहले यह ध्यान रखना चाहिए कि माला 27 मानकों के कम का नहीं हो।
- रुद्राक्ष को धागे के अलावा चांदी या सोने में जड़वाकर भी धारण कर सकते हैं।
- अगर किसी ने रुद्राक्ष धारण कर लिया है तो उसे मांस-मदिरा और नशीली चीजों का सेवन नहीं करना चाहिए।
- साथ ही रुद्राक्ष को कभी भी काले धागे में नहीं धारण करना चाहिए।
- प्रातःकाल रुद्राक्ष को धारण करते समय तथा रात में सोने के पहले रुद्राक्ष उतारने के बाद रुद्राक्ष मंत्र तथा रुद्राक्ष उत्पत्ति मंत्र का नौ बार जाप करना चाहिए।
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